बड़े शर्म की बात है हमारी सेकुलर मीडिया इन्हे अपने कोंक्लेव, आयोजनो मे आमंत्रित करती है लाखो खर्च करती है .... और ये आतंकवादियो के आका पूरे देश मे घूम घूम कर के सोये हुए जेहादियों को गरम करते है
==========आतंकी को वीजा के लिए गिलानी ने की थी सिफारिश===========
पाकिस्तान समर्थक कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी ने दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी एहतशाम मलिक को पाकिस्तानी वीजा पाने के लिए सिफारिशी पत्र दिया था। गिलानी द्वारा दिए गए सिफारिशी पत्र की प्रति 24 वर्षीय मलिक से जब्त किए गए कागजों में मिली है।
सूत्रों ने कहा कि एहतेशाम से जब्त चीजों में आईईडी बनाने का सामान जैसे तार, सल्फ्यूरिक एसिड आदि मिले हैं। उसने दिसंबर, 2011 में पाकिस्तान में प्रशिक्षण लिया था। प्रयोगशाला सहायक के तौर पर काम करने वाला एहतशाम पहले जम्मू कश्मीर के सोपोर में लश्कर से जुड़ा था और दो अन्य के साथ उसे 2007 में गिरफ्तार किया गया था।
इस बारे में संपर्क किए जाने पर गिलानी के प्रवक्ता अयाज अकबर ने कहा कि हमें इस मामले के बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन आमतौर पर यदि कोई कश्मीरी सिफारिश के लिए गिलानी साहब के पास आता है तो वह केवल कश्मीरी होने के नाते अपनी सिफारिश करते हैं। लेकिन उन्हें यह कैसे पता चलेगा कि वह वहा क्यों जाना चाहता है और उसका मकसद क्या है।
लश्कर-ए-तैयबा ने कश्मीरी युवकों को ट्रेनिंग के लिए गुलाम कश्मीर बुलाने के लिए पासपोर्ट का सहारा लेना शुरू कर दिया है। यह रहस्योद्घाटन पुलिस महानिरीक्षक [आईजीपी] कश्मीर एसएम सहाय ने दिल्ली पुलिस द्वारा गत बुधवार को पकडे़ गए कश्मीरी युवकों की पुष्टि करते हुए किया।
आईजीपी ने बताया कि एहतशाम से दिल्ली में पूछताछ में पता चला है कि उसने सोपोर, बारामूला और वादी के अन्य हिस्सों से भी ऐसे युवकों को गुलाम कश्मीर स्थित लश्कर के आतंकी कैंपों में भेजने के लिए चुना था, जिनके पास पासपोर्ट थे। उन्होंने बताया कि एहतशाम लश्कर का पुराना आतंकी है। वर्ष 2007 में कश्मीर के सोपोर कस्बे में लश्कर के दो अन्य आतंकियों के साथ पकड़ा गया था। छूटने के बाद वह रांची चला गया। वहां ननिहाल में मां के पास रहने लगा था, लेकिन लश्कर के साथ उसके संबंध बने रहे। सोपोर के रहने वाले एहतशाम के पिता फारूक अहमद मलिक का कश्मीरी दस्तकारी के सामान के आयात-निर्यात का कारोबार है।
आईजीपी ने बताया कि एहतशाम बीते साल ही पासपोर्ट पर पाकिस्तान गया था। उसका पासपोर्ट रांची, झारखंड के पते पर ही बना है। इस संबंध में झारखंड पुलिस ने जम्मू-कश्मीर पुलिस से कोई जानकारी नहीं ली। आईजीपी ने बताया कि पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई पासपोर्ट के जरिए कश्मीरी युवकों को पाकिस्तान बुलाने में अपने हर साधन का इस्तेमाल कर रही है। अगर किसी का जम्मू-कश्मीर में पासपोर्ट नहीं बनता है तो उसका देश के किसी अन्य इलाके में पासपोर्ट तैयार कराया जाता है।
एहतशाम का मॉड्यूल
-एहतशाम का सोपोर में चार सदस्यीय माड्यूल था। इसमें शामिल तौसीब अहमद पीर उसकी बुआ महबूबा बेगम का बेटा है। माड्यूल में शामिल अन्य दो युवक जुबैर मलिक और मुजम्मिल अमीन डार पुत्र अमीन डार हैं।
आतंकी को किसने दिलाई जमीन, हो रही जांच
-कश्मीर से झारखंड पहुंचे तौसीफ अहमद को हजारीबाग में जमीन कैसे मिली। आखिर कौन है उसका रहनुमा। उसके स्थानीय स्तर पर किससे संबंध हैं। इन तमाम बिंदुओं पर हजारीबाग पुलिस तफ्तीश कर रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिस जमीन पर कश्मीर हाउस खड़ा है, वह परिवार को एक सोसाइटी ने उपलब्ध कराई थी। यह सोसाइटी पुलिस के रडार पर है। 2007 में घर बनाने के पूर्व भी तौसीफ और एहतशाम यहां किराए के मकान में रहे थे।
छह-छह माह तक रहते थे लापता
-2007 में मकान बनाने के बाद तौसीफ व एहतशाम काफी समय के लिए यहां से गायब हो गए थे। करीब छह माह बाद वे वापस लौटे। 2009 में भी दोनों काफी लंबे समय तक यहां नहीं दिखे थे।
घर पर थी सिर्फ मां
-पुलिस ने गुरुवार की सुबह जिस वक्त पेलावल के कश्मीर हाउस में दबिश दी, उस दौरान घर में तौफीक की मां शबनम परवीन मौजूद थीं। पिता सैयद पीर के कश्मीर में होने की सूचना है। सूचना के अनुसार मां से पुलिस पूछताछ कर रही है।
नमाजी था तौसीफ
-आस-पास के लोगों की जानकारी के अनुसार तौसीफ का धर्म-कर्म में ज्यादा विश्वास था। दिन में पांच बार नमाज अदा करता था। हालांकि आस-पास के लोगों को से वह काफी कम मिलता-जुलता था। घर में हमेशा सन्नाटा पसरा रहता था। कभी- कभार ही घर का मेन गेट खुला मिलता था।
बुलेटप्रूफ गाड़ी में लाया गया कोर्ट
-आतंकी तौसीफ को करीब दो बजे कोर्ट लाया गया। करीब साढ़े तीन बजे उसे सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया। लगभग 22 मिनट के बाद सीजेएम कोर्ट से दिल्ली स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर राहुल कुमार सिंह व चरही थाना प्रभारी विनोद सिंह बुलेटप्रूफ गाड़ी से उसे दोबारा एसपी पंकज कंबोज के पास ले गए। जहां से कड़ी सुरक्षा में शाम को दिल्ली के लिए रवाना कर दिया गया।
नक्सल-लश्कर के संबंधों की जांच में जुटीं सुरक्षा एजेंसियां
-झारखंड के नक्सली इलाके से लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों की गिरफ्तारी ने सुरक्षा एजेंसियों को हैरत में डाल दिया है। एजेंसियां अब नए सिरे से लश्कर आतंकियों के साथ नक्सलियों के संबंधों की जांच में जुट गई है। इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने इस संबंध में आतंकियों को गिरफ्तार करने वाली दिल्ली पुलिस और झारखंड पुलिस से रिपोर्ट मांगी है।
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार नक्सलियों और आतंकियों के बीच संबंधों के कयास लंबे से लगाए जा रहे थे, पर अभी तक कोई ठोस सुबूत नहीं मिले थे। यहां तक कि नक्सली घोषित रूप में कश्मीर में आतंकियों की कार्रवाई का समर्थन करते रहे थे।
हजारीबाग में लश्कर आतंकी का लंबे समय तक पनाह लेना और वहां से आकर दिल्ली और श्रीनगर में विस्फोट की साजिश करने से साफ संकेत मिलता है कि इन दोनों के बीच कुछ संबंध हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसकी जांच की जा रही है औरच्जल्द ही सच्चाई सामने आ जाएगी।
नक्सलियों और आतंकियों के गठजोड़ की आशंका से गृह मंत्रालय के अधिकारी भी सतर्क हो गए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार आतंकियों से पूछताछ करने वाली जांच एजेंसियों की रिपोर्ट मिलने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि नक्सलियों और आतंकियों के बीच गठजोड़ कितना गहरा है।
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